तत्कालीन राष्ट्रपति के साथ रिश्ते की खनक और खुद उन्हें उजागर कर अंधेरी चमक में आई मोनिका लेविंस्की ने अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए अंग्रेजी में 4300 शब्द लिखे हैं. वेनिटी फेयर में साढे छह पेज में उसने बीते डेढ दशक को समेटने की कोशिश की है जो कि व्हाइट हाउस में लगभग अट्ठारह महीनों के कारण दुनियावी चटखारों और व्यक्तिगत चुप्पियों का सबब बन गए. सारे घटनाक्रम के डेढ दशक बाद मोनिका ने क्लिंटन के साथ अपने रिश्तों पर खेद जताते उन्हें ‘सहमति से बने संबंध’ बताया है. लेकिन उस समय यह ऐसा भूचाल था जिसने अमेरिकी समाज के दोहरे चरित्र को देखने का अवसर तो दिया ही था. यादों की दराज में एक लेख है जो शायद साल 1998 में लिखा था.
हथियार, विश्व कूटनीति व जीने के तौर तरीकों में अपने मनमर्जी के सूत्र लागू करने वाली सफलतम सभ्यता के नायक (तत्कालीन) राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर महाभियोग की तलवार लटका देने वाली मोनिका लेविंस्की पहले यौनाकृष्ट युवती थी जिसने बाद में मोहित प्रेमिका हो क्लिंटन की पत्नी बनने के खवाब पाल लिए. हालांकि एक समय वह क्लिंटन के ठंडे रवैये से इतना निराश हुयी कि उनकी ही पोल खोलने की धमकी दे डाली. उनकी, जो दुनिया की सफलतम महाशक्ति का राष्ट्रपति होने का दंभ भरते थे. यानी विलियम जेफरसन क्लिंटन उर्फ बिल क्लिंटन.
दरअसल क्लिंटन-मोनिका प्रकरण की जांच करने वाले स्वतंत्र अधिवक्ता कैनेथ डब्ल्यू स्टार ने अपनी 485 पृष्ठों की रपट में यह सब खुलासे किए थे. इसके अनुसार जुलाई 1995 में मोनिका जब व्हाइट हाउस पहुंचती है तो पांच फीट से ज्यादा लंबे कद की, गोरी चिट्टी और बला की खूबसूरत इस युवती के पास रुपये—पैसे की कोई कमी नहीं थी. वस्तुत: वह उस चमकीले समाज की ऐसी युवती थी जो देश की सबसे शक्तिशाली हस्ती के साथ लीला मात्र से विजयोन्मत्त हो जाता है. राष्ट्रपति भवन यानी व्हाइट हाउस में पहुंचते ही वह क्लिंटन की आंखों में अपने लिए आकर्षण देखती महसूस करती है. फिर वह उन्हें रिझाने के लिए अपनी पीठ से शर्ट हटा अपने अंडरवियर के चमड़े के पट्टे को उन्हें दिखाने तक ‘टीनएजर’ हो जाती है.
बतौर प्रशिक्षु व्हाइट हाउस पहुंची मोनिका व राष्ट्रपति क्लिंटन की यह लीला विभिन्न उतार चढावों के बीच अट्ठारह महीने चली. मोनिका से संबंध बनने के बाद राष्ट्रपति ने उससे इस बारे में किसी को नहीं बताने को कहा. मोनिका, क्लिंटन को तो निश्चिंत रहने को कहती रही लेकिन पर खुद हजम नहीं कर पाई और एक नहीं, ग्यारह लोगों से इसकी चर्चा की. सिर्फ तुम्हें बता रही हूं, आगे मत बताना, की तर्ज पर. हुआ यूं कि क्लिंटन से कई बार ‘संबंध’ बनाने व फोन … के बाद उनकी घटती रुचि से मोनिका बेचैन थी. वह सोचने लगी कि इन संबंधों का कुछ भविष्य भी है या वह क्लिंटन के हाथों का खिलौना भर है. वह राष्ट्रपति की अन्य गर्लफ्रेंड के बारे में सोच कर सोतिया डाह से भी परेशान थी.
स्टार के रपट में इन दोनों की छवि बिलकुल युवा उम्र के उन दो प्रेमियों से उभरती है जो बस एक दूसरे पर फिदा हैं. दोनों ने न केवल प्रेम पत्रों का आदान प्रदान किया बल्कि एक दूसरे को उपहार भी दिए. नवंबर 1995में शुरू हुए ये संबंध 24 मई 1997 को समाप्त हो गए.
रोचक तो यह है कि कैनेथ की अध्यक्षता वाली ग्रेंड ज्यूरी का मोनिका लेविंस्की प्रकरण से कोई लेना देना नहीं था. वह तो पाउला जोंस बना बिल क्लिंटन मामले की जांच कर रही थी. इसमें मोनिका एक गवाह के रूप में पेश हुई और उसने मामले को नया ही रंग दे दिया. जांच रपट में इस रंग में ऐसे राष्ट्रपति की कहानी है जो अपने से आधी उम्र की लड़की पर आसक्त है. यह चेहरा एक कामुक राष्ट्रपति का था, रपट कहती है. ग्रेंड ज्यूरी के समक्ष मोनिका राष्ट्रपति के साथ अपने संबंधों की परतें सिर्फ इसलिए उघाड़े क्योंकि यह न करने पर वह शपथ लेकर झूठ बोलने के आरोप में फंस सकती थी. और ज्यूरी ने उसे माफ करने का वादा किया था.
रपट में मोनिका ने राष्ट्रपति के साथ अपने संबंधों की इतनी खुलकर चर्चा की कि कभी कभी तो वह फुटपाथों पर बिकने वाली कामुक किताब लगती है.
इस रपट का जो हिंदी रूपांतरण ‘मैं शर्मिंदा हूं’ प्रकाशित हुआ उसके आमुख में यशवंत व्यास ने लिखा: झूठ की एक कीमत होती है. वह किसी ने किसी को चुकानी ही पड़ती है. लेकिन ऐसा लगता है कि अपनी विशिष्टताओं के लिए विख्यात अमेरिकी समाज के इस तत्कालीन नवनायक बिल क्लिंटन ने झूठ की कीमत वसूलने की कोशिश की.
सारे घटनाक्रम के डेढ दशक बाद मोनिका ने क्लिंटन के साथ अपने रिश्तों पर खेद जताते उन्हें ‘सहमति से बने संबंध’ बताया है. लेकिन उस समय यह ऐसा भूचाल था जिसने अमेरिकी समाज के दोहरे चरित्र को देखने का अवसर दिया. इस प्रकरण में एक पन्ने पर फैसले के रूप में दर्ज है कि क्लिंटन पर महाभियोग सफल नहीं हुआ और उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. वहीं दूसरे पन्ने पर मोनिका के खाते में आत्मघाती हो जाने वाला एकांत, थोथी चमक और जिंदगी को फिर से सामान्य बनाने की उनकी सालों साल की जद्दोजहद है. मोनिका का हिस्सा बताता है कि हमारे चारों ओर मीडिया, शौहरत, चकाचौंध आदि आदि के नाम पर रचा गया यह जलसाघर हमें जितना देता है उसे हजार गुणा ब्याज के साथ्ा वसूल लेता है.
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[क्लिंटन—मोनिका प्रकरण की जांच करने वाले स्वतंत्र अधिवक्ता कैनेथ डब्ल्यू स्टार की 485 पन्नों की रपट का हिंदी रूपांतरण राधाकृष्णन प्रकाशन ने किया था. ‘मैं शर्मिंदा हूं’ शीर्षक वाली 112 पृष्ठों की इस किताब में यशवंत व्यास की तीखी टिप्पणियों वाली क्लिंटन कथा के अलावा स्टार रपट का संक्षिप्त रूपांतरण है. इसमें मोनिका के व्हाइट हाउस पहुंचने, क्लिंटन पर आरोप, महाभियोग की चर्चा व स्टार—क्लिंटन में बुनियादी दलीलों का वर्णन है.यहां यह भी बताते चलें कि मोनिका ने यह चुप्पी ऐसे समय में तोड़ी है जबकि अमेरिका 2016 के राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी कर रहा है जहां बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन भी दौड़ में होंगी.]
अब आया मजा । कांकड का भविष्य दो भाग में बंटेगा एक प्री वेज बोर्ड जिसमें गरीबी, गांव और उसको रोना तथा निरशापूर्ण रूखी बातें जबकि एक दौर होगा आफटर बेज बोर्ड जिसकी शुरूआत अमेरिकी चमक ग्लेमर और मोनिका लवेंस्की से हो चुकी है ।
इससे साबित होता है कि पैसा सोच में भी परिवर्तन लाता है ।
बाप बडा न भईया सबसे बडा रूपईया ।
@arun jain. जैन साब, यह सब आपकी प्रेरणा है. कहते हैं ना कि टाइम टू मूव. सो लेट्स मूव. सबसे बड़ा रुपया हो या ना हो लेकिन सोच बहुत कुछ बदल देती है. जय हो
Thanks
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