नाम पता चक ढाणी,
फिर तुम अपना वही गांव लिखोगे
राजी खुशी बस कुशलक्षेम,
बोलो क्या पैगाम लिखोगे.
चाची ताई बुआ भाभी,
बाबा भाई किसना राई
रिश्तों की है लंबी डोरी,
किस किस को रामई राम लिखोगे.
घर गाड़ी बैलेंस ईएमआई,
बडे बड़न सब लोग लुगाई
सपनों के है किरचे किरचे
किस सर ये सब इल्जाम लिखोगे.
दिन बीते महीने गुजरे,
दशकों की बातें हो आईं
सदियों सी लंबी दूरी,
कितना और बाकी काम लिखोगे.
इधर नित जलसे चकाचौंध,
उधर यादों के बीहड़ भारी,
यहीं रहोगे कि लौटोगे वापस
कौन दर जीवन की शाम लिखोगे.
Bahut badiyaa dost….keep it up…
इधर नित जलसे चकाचौंध,
उधर यादों के बीहड़ भारी,
यहीं रहोगे कि लौटोगे वापस
कौन दर जीवन की शाम लिखोगे.
बहुत बढ़िया
बहुत सुंदर …
आज 22/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गया हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!