नए साल में…
निराशाओं के अंधेरे में
आशाओं के लट्टू लेकर चलना
और भिड़ जाना चुनौतियों की भींत से.
दुखों के पहाड़ जब हिमालय हो जाएं
तो गलते हैं
और बहती है गंगा
जीवन के उर्वर मैदानों में
लहलहाती है जीवटता की फसलें.
या कि
समय का एंटीवायरस
डिटेक्ट/डिलीट कर देता है
विपदाओं की अधिकतर फाइलें
और
पहले से बेहतर चलने लगता है
जीवन का सिस्टम
नए साल में.
🙂 बहुत सकारात्मक सोच लेकर चलें नये साल में..हा हा!!
मुझसे किसी ने पूछा
तुम सबको टिप्पणियाँ देते रहते हो,
तुम्हें क्या मिलता है..
मैंने हंस कर कहा:
देना लेना तो व्यापार है..
जो देकर कुछ न मांगे
वो ही तो प्यार हैं.
नव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
nice
http://loksangharsha.blogspot.com/
बहुत बढ़िया रचना है।बधाई।
.आप को तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
अस्तित्व आपके लक्ष्यों को पुरा करने का षड्यन्त्र करे !नव वर्ष की शुभकामनाएँ !
नववर्ष पर आपकी कविता बेहतर है.
नववर्ष पर सार्थक शब्दों/रचना के लिए आभार।
आप को तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।