
लगभग पांच हजार की आबादी, साढे चार साल और सिर्फ एक मुकदमा. सुनने पढ़ने में भले ही यह आंकड़ा सही नहीं लगे लेकिन एक गांव के लोगों के मिले जुले प्रयास ने यह संभव कर दिखाया है. यह गांव है गंगानगर जिले का डूंगरसिंहपुरा. इलाके के सबसे पुराने गांवों में से एक और दीनदयाल उपाध्याय आदर्श गांव में साढेक चार साल पहले सरपंच बनवारी सहारण तथा अन्य मौजिज लोगों ने विवादों को अपने स्तर पर ही निपटाने का फैसला किया था. इस छोटे से कदम ने धीरे धीरे एक यात्रा का रूप ले लिया.
गांव की इस व्यवस्था को गुरुकुल न्याय सदन का नाम दिया गया है. गुवाड़ स्थित पीपल के पेड़ के नीचे चौक बनाया गया है और वहां एक थान (मंदिर का छोटा रूप) भी है. कोई भी विवाद होने पर दोनों पक्ष तथा सरपंच सहित अन्य मौजिज लोग वहां बैठते हैं. दोनों पक्षों की बात सुनी जाती है, उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है और फिर मौजिज लोग जो फैसला करते हैं वह शिरोधार्य. फैसला थोपा नहीं जाता, सर्वमान्य होता है.
इस पहल का सबसे अधिक फायदा गरीब तबके को हुआ है और वे कोर्ट कचहरी के चक्करों से दूर है. मुकद्मेबाजी से होने वाली आपसी वैमनस्यता से भी यह गांव बच गया है. गांव के लोग भी इस व्यवस्था से प्रसन्न हैं. डूंगरसिंहपुरा में पंच परमेश्वर या पंचायत की यह व्यवस्था ऐसे समय में काम कर रही है जबकि आपसी सहमति या पंचों को मानने वाले लगातार कम होते जा रहे हैं.
सरपंच बनवारी सहारण बताते हैं कि पंचायत के पुराने रिकार्ड को पलटते समय उन्हें इसका विचार मिला. मौजिज व बड़े बुजुर्गों से मिलकर शुरुआत की गई और चल पड़ी. अब तक लगभग 25 मामलों का निपटारा न्याय सदन की चौकी पर हो चुका है. इनमें छोटे मोटे घरेलू विवादों से लेकर 15 बीघा जमीन (25-30 लाख रुपए मूल्य) का मामला शामिल है. बीते साढे चार साल में केवल एक मामला पुलिस के पास गया जो अजा जजा कानून का है. दरअसल गांव वालों ने तय किया है कि पंचायत में आए विवाद को वहीं निपटाया जाएगा और उसका फैसला मान्य होता है. अगर कोई व्यक्ति अपने स्तर पर या पंचायत के फैसले की अवज्ञा कर पुलिस में जाएगा तो गांव में कोई उसके साथ नहीं होगा.
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विवादों को मिल बैठ कर सुलझाने का सबसे अधिक फायदा गरीब तबके को हुआ है. लोग कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने से बचे तथा समय व धन, दोनों की बचत हुई. लोगों के समर्थन व सहयोग से गुरुकुल न्याय सदन की व्यवस्था प्रभावी हो गई यह समूचे गांव के लिए अच्छी बात है.सबसे बड़ी बात कि लोगों को विवाद विशेष की सचाई पता होती है. फिर दोनों पक्ष आमने सामने बैठकर बात करते हैं और कुछ आंखों की शर्म भी होती है. विवाद विशेष्ा को निपटाने में दोनों पक्षों व पंचायत के पदाधिकारियों, बड़े बुजुर्ग के साथ साथ उस समाज विशेष के मौजिज लोगों को भी बैठाया जाता है ताकि किसी भी तरह की चूक न हो. इसलिए यह प्रणाली अधिक प्रभावी साबित हो रही है. लोग सहयोग कर रहे हैं. अब तो गणेशगढ़ के लोग भी इसी न्याय सदन चौक पर आने लगे हैं. – सरपंच बनवारी सहारण
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उल्लेखनीय है कि डूंगरसिंहपुरा और गणेशगढ़ गांव बिलकुल अटे सटे या कि मिले हुए हैं. ये दोनों इस इलाके के सबसे पुराने और सबसे अधिक आबादी वाले गांव माने जाते हैं. गणेशगढ़ पुराना है जबकि डूंगरसिंह पुरा बाद में विस्थापित होकर आए लोगों ने तत्कालीन बीकानेर रियासत की मंजूरी से बसाया. पुलिस की नज़र में डूंगरसिंहपुरा आदर्श गांव है तो गणेशगढ़ अतिसंवेदनशील श्रेणी में आता है. इस पंचायत के कार्यकाल में इस गांव में बडे पैमाने पर विकास कार्य हुए हैं. जनसहयोग से अनेक काम किए गए हैं.
सबसे महत्वपूर्ण प्रयास करना है. डूंगरसिंहपुरा में जो किया गया वह सरपंच के प्रयास से संभव हो पाया. वह प्रसंशा के पात्र हैं और निश्चित तौर पर आप भी .
जिन गाँवों के लोगों में जागरूकता आ गयी है वो तो आदर्श ग्राम बन गए है और विकास पथ पर अग्रसर है ,पर आपस में लड़ने झगड़ने वाले गाँव आज भी वहीँ है….!अगर गाँव के मामलों को गाँव में ही सुलझा लिए जाएँ तो कितने ही समय और पैसे की बर्बादी को रोका जा सकता है…..
अपनी पंचायत, अपना न्याय मैं लिखी गुरुकुल न्याय सदन कि बात
गलत है वास्तव मैं डूंगरसिंहपुरा में ऐसा कुछ नहीं है| आपको कुछ भी लिखने से पहले सारी बातों की जाँच आवश्यक रूप से कर लेनी चाहिए|
सरपंच भले आदमी है परन्तु जो चोक पर बैठ कर न्याय होता है सरासर झूठ है
inder said are all the wrong nothing in dungarsinghpura . not a true. gurukul nayay sadan work proparly
“gurukul nayay sadan work proparly ” if it is true than prove it.
श्रीमान जी आप अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन गुरूकुल न्याय सदन द्वारा करवाये गये समझौते व लिये गये र्निणयो व सम्बन्िधत पक्षो के दूरभाष नम्बरो पर बात कर सत्यता का पता लगाये दूरभाष नम्बर नाम व पता मय पंच परमेश्वर र्निणायकगण आपकी सुविधा हेतु उपलब्ध करवा दिये जायेंगे ।
भाई बनवारी सहारण
i love my village
baki sab to thik h lekin mere gaun ki rajniti dheere dheere vikas ki bjay aapsi matbhed dushmani nibhane me jyada sakriya hoti ja rahi h
Dharmendar ji ki baat se m sahmat hu
paryas krna aavshak h or wo bhai banwari ne kiya bhi h
tabhi to 5 saal me sirf ek case hi hua h or jaha ye mahoday bol rhe h ki prove kre is sadan ko to mujhe lagta h ye to aankde darsha hi rhe h ye to vyarth ki baat ki h is uch vichar wale vyakti ne
I feel proud dat m belongs 2 dungersingh pura
Gurukul nyay sadan is properly working by d support of sarpanch banwari ji saharan nd ol people of dungersingh pura. . . .
Jinhe is baat par etraaj ho rha h unhe shayad ye pta nhi ki hmara gaav kitni tarkki kr gya h. . .Or kisi ki feezuliyat k liye ye prove karne ki kya jarurat. . .
i love village dungersinghpura
i am proud live in dungersinghpura