आकाशवाणी सूरतगढ – थार में गूंजता मरूमंगल
उत्तर पश्चिम राजस्थान ही नहीं निकटवर्ती पंजाब, हरियाणा से लेकर पड़ोसी देश में भी बडे चाव से सुना जाता है यह स्टेशन. इसका अंदाजा इसे मिलने वाले श्रोताओं के पत्रों से हो जाता है. लंबे समय तक यह क्षेत्र के लोगों के लिए मनोरंजन और जानकारी का एकमात्र माध्यम रहा है.
जोगा सिंह कैद … रेडियो माध्यम का यह नाम जब से रेडियो सुनने लगे हैं अपने दिमाग में है. छोटा था तो अक्सर सोचता था कि जो आदमी कैद है वो रेडियो पर कैसे कार्यक्रम करता होगा. तरह तरह के सवाल आते और खुद ही उनके जवाब घड़ लेता. एक जमाना गुजर गया. दस पंद्रह साल पहले जब आकाशवाणी सूरतगढ गया तो बात साफ हुई कि उनका नाम जोगा सिंह कैत है न कि कैद. वे घड़साना के पास जनता वाली गांव से हैं और आजकल वरिष्ठ उद्घोषक हैं. तो यह है आकाशवाणी सूरतगढ से जुडाव के शुरुआत की कहानी. वैसे सरकारी प्रसारण सेवा के इस केंद्र से समूचे उत्तर पश्चिम राजस्थान की एक पीढी का लगाव रहा है. बीकानेर संभाग से लेकर इधर पंजाब़ हरियाणा और आगे भी इसके श्रोता हैं. खेत में खोदी करते, पढते समय अनेक बार साढे बारह या साढे पांच बजने का बेसब्री से इंतजार किया है. इस केंद्र की दूसरी सभा सैनिकों के लिए और तीसरी सभा युववाणी के साथ कमोबेश इसी समय शुरू होती थी. अब शाम की सभा पांच बजकर पांच मिनट पर शुरू होने लगी है और युववाणी का समय भी बढ गया है.
पिछले तीसेक साल में यह केंद्र क्षेत्र के लोगों के लिए मनोरंजन और जानकारी का प्रमुख स्रोत रहा है. अपनी जैसी एक पूरी पीढी ने रेडियो और आकाशवाणी, फिल्म संगीत व लता मंगेशकर या डूंगरराम भाट आदि के बारे में इसी केंद्र से सीखा और जाना. मुहम्मद सलीम, जयप्रकाश दुबे या कुलविंदर कंग से लेकर जोगा सिंह, प्रमोद शर्मा और राजेश चड़ढा अनेक उद्घोषकों ने इस केंद्र को नयी पहचान दी, इसे आम लोगों से जोड़ा.
इस केंद्र के कई कार्यक्रमों के नाम याद आते हैं जैसे सैनिकों के लिए, पिटारा, मरूमंगल, युववाणी, चौपाल, बाल वाटिका, खेत खलिहान और फिल्म संगीत.. इनमें से कई बंद हो गए हैं जबकि कुछ निरंतर बदलाव के साथ चल रहे हैं. पाकिस्तान की सीमा के साथ साथ फैले इस इलाके में उच्च क्षमता वाला यह आकाशवाणी केंद्र कई मायनों में अनूठा कहा जा सकता है. तमाम सरकारी मुहावरों और अटकलों के बावजूद यह आम श्रोताओं की पसंद रहा है.
मिट्टी दी खुशबू
संभवत: आकाशवाणी के इतिहास का एकमात्र ऐसा कार्यक्रम जिस पर किसी विद्थार्थी ने पीएचडी के लिए लघु शोध लिखा. केंद्र के वरिष्ठ उद्घघोषक राजेश चड्ढा द्वारा पेश यह कार्यक्रम गांव खुइयां सरवर के भूपेंद्र सिंह बराड़ को इतना पसंद आया कि उन्होंने कुरूक्षेत्र विश्वविदयालय रोहतक से पीएचडी करते समय इसे लघुशोध का विषय चुना. शुक्रवार रात को प्रसारित होने वाला यह कार्यक्रम 12 जुलाई 1996 से लगातार प्रसारित हो रहा है. राजेश चङ्ढा कहते हैं कि लीक से हटकर किया गया प्रयास लोगों के मन को भा गया. फिलहाल यह कार्यक्रम महीने में दो शुक्रवार को फोन काल पर तथा बाकी शुक्रवार पत्रों पर आधारित होता है.
मरूमंगल
डूंगरराम भाट, श्रवण जोड़ा, सुलोचना खमीर और पूर्ण राम मेहरडा … उत्तर पश्चिम राजस्थान के सबसे चर्चित और सम्मानीय भजन या लोकगायकों में हैं और इन सभी को यह पहचान दिलाने में आकाशवाणी सूरतगढ ने अहम भूमिका निभाई है. पूर्णराम मेहरडा जिन्हें हम बड़डा ताउजी कहते हैं उनकी ढाणी हमारी ढाणी के पास ही है लेकिन उनकी आवाज को मैंने शायद पहले रेडियो पर ही सुना. उनके बेटे तानाराम भी बाद में जम्मा जागण लगाने लग गए. एक जमाने में चूनावढ में भरने वाले रामदेव के मेले में पूर्णराम जी भजन किया करते थे. रेडियो के माध्यम से ही ये लोग राजस्थान के एक बडे हिस्से में जाने पहचाने जाते हैं.
आकाशवाणी के इस केंद्र की एक विशेषता इसकी प्रसारण क्षमता भी है. 300 किलोवाट है इसकी क्षमता. यह देश के उन 61 वर्गीकृत एचपीटी या हाई पावर्ड ट्रांसमिशन सेंटर्स में है जिनको राष्ट्रीय महत्व के सभी कार्यक्रमों का अनुप्रसारण करना अनिवार्य होता है. एक किलोवाट क्षमता का मोटा माटा मतलब यह है कि उस क्षमता के केंद्र से प्रसारित कार्यक्रम दस किलोमीटर के दायरे में उसी गुणवत्ता से सुने जा सकते हैं. इस तरह से इस केंद्र की क्षमता 3,000 किलोमीटर की है और दिन ढले के बाद तो इसके कार्यक्रम लगभग पूरे देश में सुने जा सकते हैं. खैर दिल्ली में तो इसके कार्यक्रम हमने भी सुने हैं बाकी इसकी पहुंच का अंदाजा कार्यक्रमों को मिलने वाले पत्रों से हो ही जाता है.
राम राम सा..
भोत सुनो लाग्यो सा.. बांच र मन राजी हुयो..
आपरो
अजय सोनी, परलीका
K Baat hai Bhai Sahab Majo aa gyo khas tor per Rajesh Bhai Saab ne thare blog me dekh ummid kara ha ki nayo den ro priyaas karo la
Vinod Nokhwal
Pilibangan
‘मिट्टी दी खूश्बू’ बहुत अच्छा कार्यक्रम है और मुझे गर्व है कि इसे मेरे पापा श्री राजेश चड्ढा प्रजेंट करते हैं. हम सब मिलकर इस प्रोग्राम को सुनते हैं. दूर दूर तक लोग इसे सुनते हैं और इसका आनंद उठाते हैं. मुझे उन पर गर्व है.
आकशवाणी सुरत गढ़ की बात काई केवु थाने=
तारा म्हाई चाद ,नदियोँ म्हाई पाणी।
के मीठे सुर बोले पपिये की बाणी॥
Namaste sir g! main apke kendra ke sabhi prog sunta hun. Apka patr mila mera fevorite programme hai.
-Hiramani Verma, DATRENGI BHATAPARA
namskar sir mrumgal me to mere papa hetram kharlwa & party ne bhi gaya h meri aap se vinty hai ke aap unke bhi program ko chlaya kro mere papa ki death ho chuki hai date 04/06/2014 ko aap se hath jorkar vinty krata hu ki aap mujh unke dwara diye gye program ki cd prdan krne ki kirpa kre
मेरा नाम पूर्ण शर्मा गाँव चौटाला हरियाणा
आकाशवाणी सूरतगढ को बहुत सूना है । ओर आज भी सूनते है कभी गूजरात से गाँव आते है तो बहुत सूनते है । ओर आपकी तमाम टिम को नाम से जानते । मेरी तरफ से आकाशवाणी वह आॅल टिम को बहुत बहुत बधाई ।
जय हिन्द जय भारत