नाम ही तो है..
अंग्रेजियत भरे नाम शायद ही कहीं और हों. गांवों के इस अनूठे नामकरण की भी रोचक कहानी है. हर गांव का नाम कुछ न कुछ विशेषता लिए हुए है. राजस्थान की यात्रा में गौर करें तो यह विशेषता सामने आती है.
जैसे कुछ गांव, चकों के नाम हैं – 30 पीएस, 2 केएएस, 2 एपीडी, 7 एलसी, 3 केएसडी, 11 एसजेएम, 1 एनएसएम, 5 यूडीएम, 71 आरबी, 7 एमडी, 3 वाई, 37 एमएमके, 34 एसटीजी, 31 एसएसडब्ल्यू, 23 जीजी, 15 जेड …. इसी तरह मनफूलसिंह वाला चक, गुलाबेवाला गांव या पालेवाली ढाणी. कीकर वाली,
टाली वाला, महियां वाली भी गांव हैं.
30 पीएस (30 PS) जैसे अंग्रेजियत वाले नाम गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर तथा जैसलमेर जिलों के गांवों के हैं और अनूठे हैं. दरअसल ये नाम विभिन्न नहर परियोजनाओं का कार्यान्वयन करते समय अंग्रेज अभियंताओं ने तय किए थे. वे आज भी चल रहे हैं. अंग्रेजी वर्णमाला के आधार पर नहरों के किनारे चक गांव बसे और आबादी भूमि काटी गई.
इसी तरह किसी व्यक्ति विशेष के नाम से गांव बस गया तो बस गया. वही नाम चल गया जैसे मनफूल सिंह वाला चक या रायसिंह नगर. वैसे एक बात यह भी है कि राजस्थान में पुराने कस्बे शहर तत्कालीन शासकों ने बसाये या उनकी अनुमति से बसे इसलिए उनके नाम भी उन्हीं पर रखे गए. डूंगरसिंह पुरा, पदमपुर या केसरीसिंहपुर इसी का उदाहरण है.
पेड़ों की अधिकता के आधार पर गांव के नामकरण का उदाहरण कीकर वाली या जाळवाली है. यानी प्राकृतिक विशेषता, पेड़ पौधे, मानस, अंग्रेजी वर्णमाला .. हर किसी को आधार बनाकर गांवों के नाम रखे गए. विविध तरह के नाम राजस्थान, थार की विशेषता है. रोचक भी है. सबसे बडी बात कि ये नाम थार के आम जीवन में रच बस गए हैं. हिंदी तक नहीं बोल सकने वाले ग्रामीण अंग्रेजी के इन नामों को बिना हिचक बोलते हैं.
(शीघ्र प्रकाश्य किताब के एक आलेख पर आधारित, साभार.)
…………………………………………………………………………….
अच्छी जानकारी … होली की ढेरो शुभकामनाएं।
श्रीगंगानगर जिले में 3200 में से 2700 गांवों के नाम नहरों पर आधारित हैं
क्या बात है.